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भारत के प्रमुख एक्ट
- 1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट : इस एक्ट का उद्देश्य भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की गतिविधियों को ब्रिटिश सरकार की निगरानी में लाना था। इसके अतिरिक्त कम्पनी की संचालक समिति में आमूल-चूल परिवर्तन करना तथा कम्पनी के राजनीतिक अस्तित्व को स्वीकार कर उसके व्यापारिक ढाँचे को राजनीतिक कार्यों के संचालन योग्य बनाना भी इसका उद्देश्य था। इस अधिनियम को 1773 ई. में ब्रिटिश संसद ने पास किया तथा 1774 ई. में इसे लागू किया गया। अधिनियम में प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स तथा पार्षद फिलिप फ्राँसिस, क्लेवरिंग, मानसन तथा बारवेल का नाम लिख दिया गया था।
- पिट्स इंडिया एक्ट (1784) : रेग्यूलेटिंग एक्ट में व्याप्त खामियों को दूर करने के लिए सरकार ने इस एक्ट को पारित किया। 6 कमिश्नरों के एक बोर्ड (Board of Control) का गठन हुआ, जिसे भारत में अंग्रेजी क्षेत्र पर नियंत्रण का पूरा अधिकार दे दिया गया। संचालक या बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल की अनुमति के बिना गवर्नर जनरल को किसी भी भारतीय नरेश के साथ संघर्ष आरम्भ करने या किसी राज्य को अन्य राज्यों के आक्रमण के विरुद्ध सहायता का आश्वासन देने का अधिकार नहीं था। इस अधिनियम द्वारा कंपनी के संविधान में मुख्य परिवर्तन करते हुए उसके राजनैतिक एवं व्यापारिक कार्यों को अलग-अलग कर दियागया।
- 1858 का अधिनियम : इस अधिनियम के तहत ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी का शासन समाप्त कर शासन की जिम्मेदारी ब्रिटिश क्राउन को सौंप दी गयी। भारत का गवर्नर जनरल अब भारत का ‘वायसराय’ कहा जाने लगा। बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स एवं बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल के समस्त अधिकार ‘भारत सचिव’ (Secretary of state for India] को सौंप दिये गये।
- 1909 का भारतीय परिषद् अधिनियम : इस अधिनियम को मार्ले-मिण्टो सुधार के नाम से भी जाना जाता है। अधिनियम की मुख्य धारायें इस प्रकार थीं-• केन्द्रीय कौंसिल में विधि से सम्बन्धित कार्यों के अतिरिक्त सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 60 कर दी गयी। विधान परिषद् के अधिकारों में वृद्धि हुई, उसे सामान्य सार्वजनिक हितों से सम्बन्धित प्रस्तावों पर बहस करने व पूरक प्रश्नों को पूछने का अधिकार मिल गया।• केन्द्रीय व प्रान्तीय कार्यकारिणी परिषद् में एक-एक भारतीय सदस्य नियुक्त हुए।• मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचन क्षेत्र की व्यवस्था की गयी। इस अधिनियम की महत्त्वपूर्ण बुराई थी- मुसलमानों को पृथक् प्रतिनिधित्व प्रदान करना। रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने लिखा कि मार्ले-मिण्टो सुधार जनतंत्रवाद और नौकरशाही के बीच एक अधूरा और अल्पकालीन समझौता था।
- भारत में प्रांतों में द्वैध शासन मांट-फोर्ड – (मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड) सुधारों को 1919 से प्रारंभ किया गया, जिसे भारत सरकार अधिनियम, 1919 भी कहा जाता है। इस अधिनियम द्वारा सभी विषयों को केन्द्र और प्रान्तों में बाँट दिया गया। इस अधिनियम ने पहली बार ‘उत्तरदायी शासन’ शब्दों का स्पष्ट प्रयोग किया था। भारत सरकार अधिनियम, 1919 के द्वारा भारत में सर्वप्रथम द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका की स्थापना की गई।
- व्याख्या –लॉर्ड वावेल ने 24 अगस्त 1946 में जवाहर लाल नेहरू को अन्तरिम मंत्रिमण्डल के गठन के लिए आमंत्रित किया, इस आमंत्रण के फलस्वरूप 2 सितम्बर, 1946 को नेहरू ने 14 सदस्यीय अन्तरिम मंत्रिमण्डल का गठन किया।.
रीतिकाल के प्रमुख कवि और रचनाएं
अंतरिम सरकार मे गठित केबिनेट
क्र.सं. | नाम | विभाग |
1 | जवाहर लाल नेहरू | कार्यकारी परिषद् के उपाध्यक्ष, विदेशी मामले व राष्ट्रमण्डल सम्बन्ध |
2 | वल्लभ भाई पटेल | गृह, सूचना तथा प्रसारण |
3 | बलदेव सिंह | रक्षा |
4 | डॉ. जॉन मथाई | उद्योग तथा आपूर्ति |
5 | सी. राजगोपालाचारी | शिक्षा |
6 | सी. एच. भाभा | कार्य, खान तथा बन्दरगाह |
7 | डॉ. राजेन्द्र प्रसाद | खाद्य एवं कृषि |
8 | आसफ अली | रेलवे |
9 | जगजीवन राम | श्रम |
10 | लियाकत अली खाँ | वित्त |
11 | अब्दुल रब नश्तर | संचार |
12 | जोगेन्द्र नाथ मण्डल | विधि |
13 | गजान्तर अली खाँ | स्वास्थ्य |
14 | आई. आई. चुन्दरीगर | वाणिज्य |
संविधान सभा की महिला सदस्य (15) –
- अम्मू स्वामीनाथन
- दक्षिणानी वेलायुधन
- बेगम एजाज रसूल
- दुर्गाबाई देशमुख
- हंसा जिवराज मेहता,
- कमला चौधरी,
- लीला राय,
- मालती चौधरी,
- पूर्णिमा बनर्जी,
- राजकुमारी अमृत कौर,
- रेनुका रे,
- सरोजिनी नायडू,
- सुचेता कृपलानी,
- विजया लक्ष्मी पंडित,
- एनी मास्करीन (देशी रियासतों की महिला प्रतिनिधि)
संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसम्बर,1946
संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसम्बर,1946 को सबसे वयोवृद्ध सदस्य सच्चिदानन्द सिन्हा की अध्यक्षता (इसके अस्थायी अध्यक्ष थे) में नई दिल्ली स्थित कौंसिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन में हुई। मुस्लिम लीग ने इसका बहिष्कार किया।
सविधान की अनुसूचियाँ
अनुसूचियाँ
पहली अनुसूची : राज्य व संघ राज्य क्षेत्र का वर्णन।
दूसरी अनुसूची : मुख्य पदाधिकारियों के वेतन-भत्ते।
तीसरी अनुसूची : व्यवस्थापिका सदस्य, मंत्री, राष्ट्रपति, न्यायाधीशों आदि के लिए शपथ लिए जाने वाले प्रतिज्ञान का प्रारूप।
चौथी अनुसूची : राज्य सभा में स्थानों का आवंटन।
पांचवी अनुसूची : अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातियोंसे सम्बन्धित उपबन्ध।
छठी अनुसूची : असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के विषय में उपबन्ध।
सातवीं अनुसूची : विषयों से सम्बन्धित (संघ, राज्यएवं समवर्ती सूची)।
आठवीं अनुसूची : 22 भाषाओं का उल्लेख। मूल रूप से इसमें 14 भाषाएँ थी। सिंधी को 1967 में व कोंकणी, नेपाली एवं मणिपुरी को 1992 में तथा मैथिली, बोडो, डोगरी व संथाली को 2003 में शामिल किया गया।
नवीं अनुसूची : भूमि सुधार सम्बन्धी अधिनियम। यह प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 द्वारा जोड़ी गयी। इसमें सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है । इसी कारण वर्तमान में इस अनुसूची में संविधान की मूल भावना के विपरीत अधिनियम डाल दिये गये है।
दसवीं अनुसूची : दल परिवर्तन सम्बन्धी उपबन्ध।
ग्यारहवीं अनुसूची : पंचायती राज अधिनियम।बारहवीं अनुसूची : नगर पालिका अधिनियम। रीतिकाल के प्रमुख कवि और रचनाएं
भारत के प्रमुख वाद
बेरुबरी यूनियन वाद (1960) – प्रस्तावना संविधान का अंग नहीं। हाँ, संविधान के किसी अन्य प्रावधान की अस्पष्टता की स्थिति में उसे स्पष्ट करने के लिए प्रस्तावना का आश्रय लिया जा सकता है।
नाथ साहित्य की प्रवृत्तियाँ, प्रमुख नाथ, विशेषता, कवि और रचनायें
केशवानंद भारती वाद (1973) – प्रस्तावना संविधान का अंग है। संसद को प्रस्तावना में संशोधन करने का अधिकार है किन्तु उसके बुनियादी ढाँचे में नहीं।
गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य :के मामले में कहा गया कि प्रस्तावना उन सिद्धान्तों का निचोड़ है जिनके आधार पर सरकार को कार्य करना है।
भारतीय संविधान की विशेषताएँ
भारतीय संविधान की विशेषताएँ जो अन्य देशों के संविधान से ग्रहण की गई हैं, निम्नलिखित है –
भारत शासन अधिनियम 1935 – संघीय व्यवस्था, राज्यपाल का कार्यालय, न्यायपालिका का ढाँचा, लोकसेवा आयोग, आपातकालीन उपबंध, शक्तियों के वितरण की तीन सूचियाँ।
ब्रिटेन – संसदीय शासन, मन्त्रिमंडल का लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व, परमाधिकार रिटें, द्विसदनवाद, विधि निर्माण प्रक्रिया, संसदीय विशेषाधिकार, औपचारिक प्रधान के रूप में राष्ट्रपति, इकहरी नागरिकता, विधि का शासन।
आयरलैण्ड – नीति निर्देशक तत्त्व, राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति, राज्य सभा के मनोनीत सदस्य।
आस्ट्रेलिया – प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची,केन्द्र एवं राज्य के बीच संबंध व शक्तियों का विभाजन।
अमेरिका – मौलिक अधिकार, उपराष्ट्रपति, सवर्वोच्च न्यायालय का गठन एवं शक्तियाँ, स्वतंत्र न्यायपालिका, न्यायिक पुनर्विलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों को हटाने की विधि, वित्तीय आपात, हम भारत के लोग।
रूस – मूल कर्तव्य, पंचवर्षीय योजना, प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय का आदर्श।
कनाडा – संघीय व्यवस्था, अवशिष्ट शक्ति, 7वीं अनुसूची की सूचियाँ, केन्द्र द्वारा राज्यपालों की नियुक्ति।
दक्षिण अफ्रीका – संशोधन प्रक्रिया, राज्यसभा केसदस्यों का निर्वाचन।
नाथ साहित्य की प्रवृत्तियाँ, प्रमुख नाथ, विशेषता, कवि और रचनायें
जर्मनी – आपातकालीन उपबंध।
फ्राँस- गणतंत्र, स्वतंत्रता-समता और बंधुता के आदर्श।
जापान – ‘कानून द्वारा स्थापित’ शब्दावली।
भारतीय संविधान की तीन सूचियाँ
भारतीय संविधान में शक्ति विभाजन के लिए तीन सूचियाँ बनाई गई है।
संघ सूची– के समस्त विषयों पर कानून निर्माण का अधिकार संघीय संसद का, राज्य सूची के विषयों पर राज्य विधानमण्डल एवं समवर्ती सूची के विषयों पर दोनों का अधिकार होता है। अवशिष्ट शक्तियाँ संघ(केन्द्र) में निहित है।
- संघ सूची : मूल संविधान में विषय -97 (वर्तमान में 100)-लेखा, रक्षा, विदेश, परमाणु ऊर्जा, मुद्रा के विषय।
2. राज्य सूची : मूल संविधान में विषय – 66 (वर्तमान में 61 ) – पुलिस, परिवहन, स्थानीय शासन, न्याय, कृषि, सिंचाई के विषय।
3. समवर्ती सूची : मूल संविधान में विषय 47 (वर्तमान में 52 ) – सामाजिक एवं आर्थिक योजना, शिक्षा, विवाह, जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन
मौलिक अधिकार
मौलिक अधिकार निम्नलिखित हैं-
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- शोषण के विरूद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
- शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
समता का अधिकार
समता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)-
अनुच्छेद 14 – समानता एवं कानून के समान संरक्षण की व्यवस्था।
अनुच्छेद 15 – किसी भी प्रकार के भेदभाव का-निषेध। धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधारपर विभेद का प्रतिषेध।
अनुच्छेद 16 -अवसर की समानता। – लोगों को लोक नियोजन में
अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता के अंत से संबंधित प्रावधान। (अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955 में पारित किया गया)
अनुच्छेद 18 – शैक्षिक एवं सैन्य क्षेत्र के अतिरिक्त राज्य द्वारा दी जाने वाली अन्य किसी भी उपाधि का निषेध।
शोषण के विरुद्ध अधिकार
शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद23 से 24)-
अनुच्छेद 23 – मानव के दुर्व्यापार और बलात्श्रम का प्रतिषेध : मनुष्यों का व्यापार, बेगार और अन्य प्रकार से कराया जाने वाला बलपूर्वक श्रम दंडनीय अपराध है।
अनुच्छेद 24-कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध : 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखानों, खानों एवं अन्य जोखिम वाले कार्यों में नहीं लगाया जा सकता।धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 25 से 28)-
अनुच्छेद 25 – लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्यके उपबन्धों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतन्त्रता का अधिकार है तथा बिना रोक-टोक के धर्म में विश्वास रखने, धार्मिक कार्य करने और प्रचार करने का अधिकार है ।• अनुच्छेद 26 – धार्मिक मामलों का प्रबंध करने कीस्वतंत्रता ।
अनुच्छेद 27 – धार्मिक आधार पर किसी व्यक्ति को कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।• अनुच्छेद 28 – सरकार द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जायेगी।
वरीयता क्रम के अनुसार राजनीतिक पद
वरीयता अनुक्रम का प्रयोग राजनीतिक समारोहों के अवसर पर किया जाता है तथा सरकार के दैनिक कार्यों में इसका कोई प्रयोग नहीं होता। 26 जुलाई, 1979 को इससे सम्बन्धित अधिसूचना जारी की गई थी। वर्तमान वरीयता अनुक्रम इस प्रकार है
1. राष्ट्रपति
2. उपराष्ट्रपति
3. प्रधानमंत्री
4. राज्यों के राज्यपाल अपने-अपने राज्यों में
5. भूतपूर्व राष्ट्रपति
5. उपप्रधानमंत्री
6. भारत का मुख्य न्यायाधीश तथा लोकसभा का अध्यक्ष
7. केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री तथा राज्यों के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों के , योजना आयोग का उपाध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री तथा संसद में विपक्ष के नेता
8. राजदूत
9. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश
9. (क) मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
10. राज्य सभा का उपसभापति, लोक सभा का उपाध्यक्ष, योजना आयोग के सदस्य तथा केन्द्र में राज्यमंत्री
11. भारत के महान्यायवादी, कैबिनेट सचिव, उपराज्यपाल ( अपने संघ शासित क्षेत्र में)
12. जनरल अथवा उनके समान रैंक वाले सेनाध्यक्ष
नीति आयोग
नीति आयोग (National Institution for Transforming India Commission) : 1950 में स्थापित गैर- संवैधानिक संस्था योजना आयोग की जगह 1 जनवरी, 2015 को नीति आयोग ने ले ली। नीति यानी नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया। नीति आयोग एक कैबिनेट प्रस्ताव से बना ।• अध्यक्ष : नरेन्द्र मोदी (प्रधानमंत्री)।• नीति आयोग ने पंचवर्षीय योजनाओं की परम्परा को समाप्त कर दिया, जिससे 12वीं पंचवर्षीय योजना ही अंतिम पंचवर्षीय योजना रही। अब पंचवर्षीय योजनाओं के स्थान पर 15 वर्षीय दृष्टिकोण (Vision-2017-2032 तक), 7 वर्षीय रणनीति (Strategy -2017-2024 ) व 3 वर्षीय कार्ययोजना (Action Plan-2017-2020) नीति आयोग द्वारा जारी की गई है।
राजमन्नार समिति
राजमन्नार समिति – तमिलनाडु सरकार ने 22 सितम्बर, 1969 को डॉ. पी. वी. राजमन्नार की अध्यक्षता में राज्यों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करने के लिए सुझाव देने हेतु इस समिति का गठन किया । इस समिति के प्रमुख सुझाव थे-अवशिष्ट विषय या तो समाप्त कर देने चाहिए। अथवा राज्यों को दिए जाने चाहिए, एक अन्तर्राज्यीय परिषद् का गठन किया जाना चाहिए, अखिल भारतीय सेवाओं को समाप्त किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय विकास परिषद्
राष्ट्रीय विकास परिषद् (National De-velopment Council) : योजना आयोग एवं राज्यों के मध्य समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से केन्द्रीय मंत्रिमंडल के प्रस्ताव पर एक कार्यकारी आदेश द्वारा 6 अगस्त, 1952 को राष्ट्रीय विकास परिषद् का गठन हुआ। इसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री तथा सदस्य सभी राज्यों के मुख्यमंत्री होते हैं।
सरकारिया आयोग
सरकारिया आयोग – केन्द्र-राज्य सम्बन्धों – के सम्पूर्ण ढाँचे पर विचार करने के लिए रणजीत सिंह सरकारिया (उच्चतम न्यायालय, भूतपूर्व न्यायाधीश) की अध्यक्षता, श्री बी, शिवरमन और डॉ. एस. आर. सेन की सदस्यता में 24 मार्च, 1983 को सरकारिया आयोग का गठन किया गया जिसने नवम्बर, 1987 (1600 पृष्ठों की) में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (C.V.C.): 1962 में गठित इस समिति की सिफारिशों के आधार पर ही प्रथम और द्वितीय श्रेणी के सरकारी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच के लिए 1964 में ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग’ (C.V.C.) की स्थापना हुई। संथानम समिति की सिफारिश पर 1964 में स्थापित इस आयोग को 23 अगस्त, 1998 में संवैध ानिक संस्था बना दिया गया है। यह केवल केन्द्र सरकार के कार्मिकों से सम्बन्धित भ्रष्टाचार के मामले देखता है। ज्ञातव्य है कि C.B.I. तथा C.V.C. दोनों कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग के अधीन कार्यरत हैं तथा इन दोनों का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग : राष्ट्रपति के आदेश से 28 दिसम्बर, 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना विधिक निकाय के रूप में हुई। आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थापित किया गया है। व्याख्या – राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष सिर्फ भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को ही बनाया जाता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केवल राष्ट्रपति द्वारा नहीं की जाती है बल्कि एक 6 सदस्यीय समिति द्वारा की जाती है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग: केन्द्रीय सरकार का एक आयोग है जो विश्वविद्यालयों को मान्यता देता है। यही आयोग सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अनुदान भी प्रदान करता है। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है। 28 दिसंबर 1953 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने औपचारिक तौर पर यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन की नींव रखी थी। इसके बाद 1956 में यूजीसी को संसद में पारित एक विशेष विधेयक के बाद सरकार के अधीन लाया गया और तभी औपचारिक तौर पर इसे स्थापित माना गया।
राष्ट्रीय पिछड़ी जाति आयोग
राष्ट्रीय पिछड़ी जाति आयोग: की स्थापना 14 अगस्त, 1993 को हुई, जिसके प्रथम अध्यक्ष काका साहेब कालेलकर थे।
राष्ट्रीय राजनीतिक दल
वर्तमान में मान्यता-प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिकदल (8)
1. भारतीय जनता पार्टी (BJP)स्थापना -1951 (भारतीय जनसंघ)/1980 (बीजेपी), संस्थापक – श्यामा प्रसाद मुखर्जी, चुनाव चिह्न-कमल
2. कांग्रेस (Congress), स्थापना -1885, संस्थापक -ए.ओ. ह्यूम, चुनाव चिह्न-पंजा (हाथ)
3. भारतीय साम्यवादी दल (CPI), स्थापना -1925, संस्थापक -एम. एन. राय, चुनाव चिह्न-हँसिया और अनाज की बाली
4. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), स्थापना -1999,संस्थापक – शरद पवार, चुनाव चिह्न-घड़ी
5. बहुजन समाज पार्टी (BSP), स्थापना – 1984, संस्थापक – कांशीराम, चुनाव चिह्न-हाथी (असम को छोड़कर)
6. भारतीय साम्यवादी दल-मार्क्सवादी (CPI-M), स्थापना -1964, संस्थापक – ई.एम. एस. डांगे, चुनाव चिह्न-हँसिया, हथोड़ा एवं तारा
7. ऑल इण्डिया तृणमूल कांग्रेस (AITC), स्थापना -1998, संस्थापक -ममता बनर्जी, चुनाव चिह्न-जोरा घास एवं फूल
8. नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP), स्थापना -2013, संस्थापक -पी.ए. संगमा, चुनाव चिह्न-किताब
सविधान मे अन्य देशों से लिए प्रमुख भाग
भारतीय संविधान की विशेषताएँ जो अन्य देशों के संविधान से ग्रहण की गई हैं, निम्नलिखित है –
भारत शासन अधिनियम 1935 – संघीय व्यवस्था, राज्यपाल का कार्यालय, न्यायपालिका का ढाँचा, लोकसेवा आयोग, आपातकालीन उपबंध, शक्तियों के वितरण की तीन सूचियाँ।
ब्रिटेन – संसदीय शासन, मन्त्रिमंडल का लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व, परमाधिकार रिटें, द्विसदनवाद, विधि निर्माण प्रक्रिया, संसदीय विशेषाधिकार, औपचारिक प्रधान के रूप में राष्ट्रपति, इकहरी नागरिकता, विधि का शासन।
आयरलैण्ड – नीति निर्देशक तत्त्व, राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति, राज्य सभा के मनोनीत सदस्य।
आस्ट्रेलिया – प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची,केन्द्र एवं राज्य के बीच संबंध व शक्तियों का विभाजन।
अमेरिका – मौलिक अधिकार, उपराष्ट्रपति, सवर्वोच्च न्यायालय का गठन एवं शक्तियाँ, स्वतंत्र न्यायपालिका, न्यायिक पुनर्विलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों को हटाने की विधि, वित्तीय आपात, हम भारत के लोग।
रूस – मूल कर्तव्य, पंचवर्षीय योजना, प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय का आदर्श।
कनाडा – संघीय व्यवस्था, अवशिष्ट शक्ति, 7वीं अनुसूची की सूचियाँ, केन्द्र द्वारा राज्यपालों की नियुक्ति।
दक्षिण अफ्रीका – संशोधन प्रक्रिया, राज्यसभा केसदस्यों का निर्वाचन।
जर्मनी – आपातकालीन उपबंध।
फ्राँस- गणतंत्र, स्वतंत्रता-समता और बंधुता के आदर्श।
जापान – ‘कानून द्वारा स्थापित’ शब्दावली।
भारत का संविधान बुक
भारत का संविधान buy now
Constitution of India Buy Now
भारत का संविधान कब लागू हुआ
26 जनवरी 1950
भारत का संविधान किसने लिखा
संविधान अपने हाथों से लिखा था- प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा
भारत का संविधान कितने पेज का है
भारत के संविधान में कुल 448 अनुच्छेद हैं, जो 25 भागों और 12 अनुसूचियों में विभाजित हैं। संविधान 26 नवंबर, 1949 को अधिनियमित किया गया था और तब से 100 से अधिक बार संशोधित किया जा चुका है। मूल दस्तावेज़ की लंबाई लगभग 117,369 शब्द थी, जो कुल 390 पृष्ठों में फैली हुई थी।
भारत का संविधान किसने लिखा और कितने दिनों में लिखा
डॉ. अम्बेडकर ने 2 वर्ष 11 माह 18 दिन
भारत का संविधान कितने लोगों ने लिखा था
भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे जिसके अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे।
भारत का संविधान कितने दिन में बना
2 वर्ष 11 माह 18 दिन
भारत का संविधान कब बनकर तैयार हुआ
26 नवम्बर 1949